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ऐ ज़िन्दगी..तेरी खातिर

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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जिंदगी की खातिर (मजदूर दिवस विशेष)…..

मजदूर दिवस एक,
जज़्बात है
हर मेहनतकश क़ा,
मजबूत शक्तियों पर प्रतिघात है।

यह वैश्विक पुकार है,
दुनिया के श्रमिकों को
एकता सूत्र में बंधे हुए रहने का,
एक शाश्वत संस्कार है।

यह अन्याय और ज़ुल्म को,
मजबूती से खत्म करने की
एक आवाज है,
यह वैश्विक स्तर पर एक
मजदूरों की बड़ी मजबूती से,
निकलने वाली आवाज है।

मरहूम श्रमिकों को लेकर,
आजादी का यह एक बिगुल है
बड़े-बड़े पूंजीपतियों को,
एक कठोर अनुशासन और मर्यादा को
बनाए रखते हुए,
उनकी क्रूरता पर प्रहार करते हुए रहने का
सर्वोत्तम उपचार है,
जिस पर पूरी तरह एकता को खंडित करना,
बेहद मुश्किल है।

आज़ भी दुनिया में,
एक सम्मान की जरूरत
महसूस की जा रही है यहां,
पूंजीपतियों को एक उत्तम
सीख दी जा रही है यहां।

ज़िन्दगी सुनसान न हो,
के लिए इन्सानियत को भी
जरूरी समझना होगा,
पूंजीवाद को जड़ से खत्म करना ही होगा।

आज़ पूरे विश्व में,
सबसे ज्यादा पूंजीपति वर्ग ही
सबसे ज्यादा मालामाल है,
मजदूरों की पूरे विश्व में स्थिति बेहाल है।

आज़ हम सब मिलकर,
एक उन्नत योजना बनाएं।
ज़िन्दगी सुनसान न हो मजदूरों की,
इस विश्वास और श्रद्धा से
हमेशा मजदूरों का एक यहां,
मजबूत और शक्तिशाली स्थान बनाएं॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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