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ऐ स्वर कोकिला…

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’
बारां (राजस्थान)
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सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि…

ऐ स्वर कोकिला,लता मंगेशकर,
दुनिया से तुम्हारे विदा होने पर।
हर आँख नम है,हर चेहरा मायूस,
बेसुर हो गए तेरे बिना स्वर॥
ऐ स्वर कोकिला…

स्वरों की तू सरस्वती थी,
अधूरी थी सरगम तेरे बिना।
नई पहचान संगीत को दी तुमने,
नहीं ज्योति थी गीतों में तेरे बिना।
बेदम हो गए गीत संगीत सब,
यह जमीं छोड़ तेरे जाने पर…॥
ऐ स्वर कोकिला…

इस धरा पर वह सूरज थी तू,
जिसने रोशन किया,देश के नाम को।
तेरे गीतों में था जादू,
जिसने जगमग जिंदा किया शाम को।
नहीं रही अब वह रोशनी,आवाज,
वीणा के तारों में,तेरे जाने पर…॥
ऐ स्वर कोकिला…

रहेगा अमर तेरा नाम जमीं पर,
हर दिल में जिंदा तू,हमेशा रहेगी।
तू प्रेरणा और सूरज रहेगी सबकी,
गीत-संगीत में जिंदा तू हमेशा रहेगी।
हो गई पूरी दुनिया,बेरौनक अब,
यह संसार तेरे छोड़ जाने पर…॥
ऐ स्वर कोकिला…

परिचय- गुरुदीन वर्मा का उपनाम जी आज़ाद है। सरकारी शिक्षक श्री वर्मा राजस्थान के सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा स्थित विद्यालय में पदस्थ हैं। स्थाई पता जिला-बारां (राजस्थान) है। आपकी शिक्षा स्नातक(बीए)व प्रशिक्षण (एसटीसी) है।इनकी रूचि शिक्षण,लेखन,संगीत व भ्रमण में है। साहित्यिक गतिविधि में सक्रिय जी आजाद अनेक साहित्य पटल पर ऑनलाइन काव्य पाठ कर चुके हैं तो अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। प्रकाशित पुस्तक ‘मेरी मुहब्बत’ साहित्य खाते में है तो कुछ पुस्तक प्रकाशन में हैं।

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