श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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कौन है वह, रोज-रोज झाँकता है,
मेरे दिल के झरोखे में आकर
बुलाऊँ उसे, तब भाग जाता है,
छुप जाता है कहीं जाकर।
कहता है पूर्वजन्म का मित्र हूँ तेरा,
अपना नाम बताता है बंजारा
श्याम सलोना रूप करिश्मा,
आँखों में काला है चश्मा।
धीमी आवाज में, जाने क्या कहता है!
दिल के झरोखे में खड़ा रहता है
आँखों के इशारों से बुलाता है,
कभी मन्द-मन्द मुस्काता है।
सपनों में सिरहाने आकर बैठता है,
मेरी बिखरी लटों को संभालता है।
बंजारा एक ही बात रटता रहता है,
‘कहो ना प्यार है’ कहता रहता है॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |