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कितना शरीफ है यह दुष्कर्मी

डॉ.वेदप्रताप वैदिक
गुड़गांव (दिल्ली) 
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सर्वोच्च न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उन्नाव में हुए बलात्कार के मामले में जिस फुर्ती से कार्रवाई की है,उसने देश के सीने में लगे घाव पर थोड़ा मरहम जरुर लगाया है। उप्र के विधायक कुलदीप सेंगर पर आरोप है कि २०१७ में कम उम्र की एक लड़की के साथ उसने जो बलात्कार किया था और उस बलात्कार पर पर्दा डालने के लिए उसने कई नृशंस हत्याओं का सहारा लिया है,वैसा मर्मभेदी किस्सा तो पहले कभी सुनने में भी नहीं आया। जिस लड़की के साथ बलात्कार हुआ था,उसने इंसाफ का दरवाजा खटखटाने खातिर पिछले साल उप्र के मुख्यमंत्री के घर के आगे आत्मदाह करने की कोशिश भी की थी। उस विधायक पर आरोप है कि उस पीड़ित लड़की के साथ-साथ उसके उन सब रिश्तेदारों को भी वह मौत के घाट उतार देना चाहता है,जो उस कुकर्म के साक्षी रहे या जो उस लड़की को न्याय दिलाने के लिए कमर कसे हुए हैं। लड़की के पिता को पुलिस से फर्जी मामले में गिरफ्तार करवाकर पहले ही मरवा दिया गया। लड़की का चाचा अभी जेल में है। वह लड़की,उसकी चाची और उसका वकील जिस कार से यात्रा कर रहे थे, उस कार को एक छिपे हुए नम्बर के ट्रक ने इतनी जोर से टक्कर मारी कि बलात्कार की साक्षी वह चाची मर गई। दूसरी चाची भी मर गईं। वह लड़की और उसका वकील अभी भी मृत्यु-शय्या पर हैं। शंका है कि यह सारा षड़यंत्र सेंगर जेल में रहते हुए ही करवा रहा है। इस हत्याकांड में उप्र के एक मंत्री के दामाद का भी हाथ बताया जा रहा है। ऐसा लगता है कि यह सारा मामला जातिवाद के चक्र में फंस गया है। उप्र की सरकार पर आरोप है कि उसने सारे मामले को ढील दे रखी है। वास्तव में विधायक सेंगर आजकल भाजपा का सदस्य रहा है। उसे पहले निलंबित किया गया था और अब उसे पार्टी से निकाला गया है। सेंगर पहले कांग्रेस में था, फिर वह बसपा में गया,फिर सपा में रहा और फिर २०१७ में भाजपा में आया। याने वह इतना शरीफ और काम का आदमी है कि सभी पार्टियों ने उसका स्वागत किया। हमारी राजनीतिक पार्टियों के नैतिक दिवालियेपन का साक्षात प्रतीक है-कुलदीप सेंगर! सर्वोच्च न्यायालय ने सारे मामले को ४५ दिन में पूरा करने और उसे लखनऊ से दिल्ली लाने का निर्देश दिया है। ट्रक-दुर्घटना की जांच ७ दिन में पूरी होगी। पीड़िता के परिवार को पूर्ण सुरक्षा और पीड़िता को उप्र सरकार २५ लाख रु. तुरंत देगी। घायलों के इलाज की जिम्मेदारी सरकार लेगी। अदालत ने सरकार के कान तो खींच दिए हैं लेकिन यह समझ में नहीं आता कि हमारी जनता का चरित्र कैसा है ? ऐसे अपराधी चरित्र के नरपशुओं को चुनकर वह विधानसभा और संसद में कैसे भेजेती है ? क्या अपने लिए भी वह कोई सजा सुझाएगी ?

परिचय-डाॅ.वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है,जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया। पत्रकारिता सहित राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति और हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष आदि अनेक क्षेत्रों में एकसाथ मूर्धन्यता प्रदर्शित करने वाले डाॅ.वैदिक का जन्म ३० दिसम्बर १९४४ को इंदौर में हुआ। आप रुसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा के जानकार हैं। अपनी पीएच.डी. के शोध कार्य के दौरान कई विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन और शोध किया। अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त करके आप भारत के ऐसे पहले विद्वान हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा है। इस पर उनका निष्कासन हुआ तो डाॅ. राममनोहर लोहिया,मधु लिमये,आचार्य कृपालानी,इंदिरा गांधी,गुरू गोलवलकर,दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी सहित डाॅ. हरिवंशराय बच्चन जैसे कई नामी लोगों ने आपका डटकर समर्थन किया। सभी दलों के समर्थन से तब पहली बार उच्च शोध के लिए भारतीय भाषाओं के द्वार खुले। श्री वैदिक ने अपनी पहली जेल-यात्रा सिर्फ १३ वर्ष की आयु में हिंदी सत्याग्रही के तौर पर १९५७ में पटियाला जेल में की। कई भारतीय और विदेशी प्रधानमंत्रियों के व्यक्तिगत मित्र और अनौपचारिक सलाहकार डॉ.वैदिक लगभग ८० देशों की कूटनीतिक और अकादमिक यात्राएं कर चुके हैं। बड़ी उपलब्धि यह भी है कि १९९९ में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आप पिछले ६० वर्ष में हजारों लेख लिख और भाषण दे चुके हैं। लगभग १० वर्ष तक समाचार समिति के संस्थापक-संपादक और उसके पहले अखबार के संपादक भी रहे हैं। फिलहाल दिल्ली तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग २०० समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर आपके लेख निरन्तर प्रकाशित होते हैं। आपको छात्र-काल में वक्तृत्व के अनेक अखिल भारतीय पुरस्कार मिले हैं तो भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों में विशेष व्याख्यान दिए एवं अनेक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। आपकी प्रमुख पुस्तकें- ‘अफगानिस्तान में सोवियत-अमेरिकी प्रतिस्पर्धा’, ‘अंग्रेजी हटाओ:क्यों और कैसे ?’, ‘हिन्दी पत्रकारिता-विविध आयाम’,‘भारतीय विदेश नीतिः नए दिशा संकेत’,‘एथनिक क्राइसिस इन श्रीलंका:इंडियाज आॅप्शन्स’,‘हिन्दी का संपूर्ण समाचार-पत्र कैसा हो ?’ और ‘वर्तमान भारत’ आदि हैं। आप अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित हैं,जिसमें विश्व हिन्दी सम्मान (२००३),महात्मा गांधी सम्मान (२००८),दिनकर शिखर सम्मान,पुरुषोत्तम टंडन स्वर्ण पदक, गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार,हिन्दी अकादमी सम्मान सहित लोहिया सम्मान आदि हैं। गतिविधि के तहत डॉ.वैदिक अनेक न्यास, संस्थाओं और संगठनों में सक्रिय हैं तो भारतीय भाषा सम्मेलन एवं भारतीय विदेश नीति परिषद से भी जुड़े हुए हैं। पेशे से आपकी वृत्ति-सम्पादकीय निदेशक (भारतीय भाषाओं का महापोर्टल) तथा लगभग दर्जनभर प्रमुख अखबारों के लिए नियमित स्तंभ-लेखन की है। आपकी शिक्षा बी.ए.,एम.ए. (राजनीति शास्त्र),संस्कृत (सातवलेकर परीक्षा), रूसी और फारसी भाषा है। पिछले ३० वर्षों में अनेक भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों में अन्तरराष्ट्रीय राजनीति एवं पत्रकारिता पर अध्यापन कार्यक्रम चलाते रहे हैं। भारत सरकार की अनेक सलाहकार समितियों के सदस्य,अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञ और हिंदी को विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्पित डॉ.वैदिक का निवास दिल्ली स्थित गुड़गांव में है।

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