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कौन थामेगा!

संजय जैन ‘बीना’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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फिसलती जिंदगी को,
कोई तो थाम लेगा
दिया जिन्होंने धोखा,
उन्हें संभाल पाएगा
हो जाए अगर कश्ती में,
कोई छेद तो क्या करेगा
खुद को बचाएगा या,
वो कश्ती को बचाएगा।

उठना और फिर गिरना,
ये इंसान की फितरत है
औरों को गिराकर यदि,
खुद उठा तो क्या फायदा
कभी खुद को गिराकर,
दूसरों को उठाकर दिखाओ
खुद के लिए तो बहुत जिए हो,
औरों के लिए जीकर दिखाओ।

डूब जाते हैं गम में वो,
जब मुसीबत खुद पर आती है
सोचते तब वो नहीं,
जब औरों को फंसाते हैं
और अपनी गलतियों का,
इल्जाम औरों पर लगाते हैं
और इंसानियत का पाठ,
ऐसे ही लोग पढ़ाते हैं।

आपके छोटे-छोटे प्रयासों से,
समाज संगठित हो जाएगा
और बदल जाएगा देश,
जब लोग इंसान बन जाएंगे
आपसी भाईचारे प्रेम का,
वातावरण समाज में बनाएंगें।
और सच्चे नागरिक होने का,
फर्ज देश के प्रति निभाएंगें॥

परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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