ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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क्यों करते हैं लोग,
हिंदू-मुस्लिम…
क्यों दंगा फैलाते हैं,
बेवजह शहरों को
अंगारों से जलाते हैं।
सूरज का कोई धर्म नहीं,
चंदा को भी भ्रम नहीं
तारे नहीं जात बताते,
सबके हित में टिमटिमाते
समन्दर का भी ताल्लुक नहीं,
किसी धर्म से
सबको प्रेम है अपने-अपने,
नेक कर्म से
ना ही वृक्ष पक्षपात हैं करते,
सबको शीतल छाँव देते।
फिर क्यों लोगों ने ?
साम्प्रदायिकता का,
ज़हर फैलाया
जात-पात, मजहब-क्षेत्रवाद,
अलग-अलग वर्गों में
सबको बंटवाया।
हे! इन्सान,
जरा मन में सोच विचार
प्रकृति ने सबको,
समान दिया है उपहार।
फिर क्यों तू राजनीति का,
बन रहा शिकार॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।