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ख्वाब

आशुतोष कुमार झा’आशुतोष’ 
पटना(बिहार)

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झूठे ख्वाबों को कोस रहा,

अपने मंसूबों को रोक रहा।

देखता रोज ही ख्वाब वो,

अकेला कर रहा राज वो।

अंधेरे का है मालिक वो,

उजाले का देखता ख्वाब वो।

बचपन से करता आया संघर्ष वो,

आज भी कर रहा संघर्ष वो।

बूझते दीपक की लौ की भाँति बुझ रहा,

जैसा आज है उसका वैसा कल रहा।

पंख अरमानों के लगाकर,

उड़ना चाहा ऊँचाईयों परl

बादलों से टकराकर वो,

फिर गिरा जमीन पर।

पंख उसके ढीले पड़े,

अरमानो को वीराने मिले।

ख्वाब टूटे तो पता चला,

आज सारे अपनों में बेगाने हुएll

परिचय-आशुतोष कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘आशुतोष’ हैl जन्म ३० अक्तूबर १९७३ को किशुनपुर(पलामू) में हुआ हैl वर्तमान में पटना(बिहार)में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा किशुनपुर(जिला-पलामू, झारखण्ड)हैl इनकी शिक्षा-आनर्स (अर्थशास्त्र)हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(पटना)हैl इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल हैl इनको हिन्दी, मैथिली,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा का हैl प्रकाशन के अंतर्गत ४० कविता प्रकाशित हो चुकी हैl कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl कम्प्यूटर-टीवी मैकेनिक श्री झा की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक जागृति हैl आपकी रुचि-खेल,संगीत तथा कविता लिखना हैl

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