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जरा चिराग बनकर देखो

एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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किसी के अंधेरे का चिराग बन कर देखिए,
किसी की आँखों का ख्वाब बन कर देखिए।
दर्द दूसरों का भी अपनाकर जरा देखो-
किसी मुश्किल का जवाब बन कर देखिए॥

गिरते हुए को जरा संभाल कर देखो तुम,
अपनी नज़र के जरा पार भी देखो तुम।
हाथ बढ़ाओगे तो आँसुओं में मुस्कान मिलेगी-
किसी का दर्द लेकर जरा उधार देखो तुम॥

दूसरों के गमों को जो माने,वो इंसान होता है,
तकलीफ में दे साथ,वही एहसान होता है।
दरिया में डाल देना ही है जरूरी-
जला कर हाथ जो बचाए,वो भगवान होता है॥

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