हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
*********************************************
मैं जिया करूं तुझे जिन्दगी, तू मुझे कभी तो करार दे।
तू फिज़ां लगे मुझे हर घड़ी, वो चमन सजा जो बहार दे।
मैं न जी सका कभी प्यार बिन, तो मुहब्बतों की करूं दुआ
मैं हवा बनूं बने तू महक, ये दिले जहां को खुमार दे।
है हरेक वक्त में कहकशां, जो मिटा रही सदा जीस्त को,
तू सिखा इसे दिखा बन्दगी, जो कदर करे वो दयार दे।
हो न दर्द प्यार में दिल सजे, तो न कौन प्यार किया करे,
मै जियूं तुझे सदा प्यार कर, जो सजी रहे वो मजार दे॥
परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।