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जो जीते… वो बाजीराव

सीमा जैन ‘निसर्ग’
खड़गपुर (प.बंगाल)
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स्वर्णिम मेरे भारत का,
इतिहास रंगा जांबाज़ी से
कुरेद रही पन्ना-पन्ना,
जो अटा पड़ा शौर्य-गाथा से।

जो गर्व मेरा, सबसे मंगल,
मस्तक ऊँचा कर देता है
कहीं नहीं ऐसे बलिदानी सुने,
जैसे भारत ने वीर जने।

बेमिसाल अजेय योद्धा वीर हुए,
जो जीते सदा… वह बाजीराव हुए
जिनके किस्से सुन-सुनकर के,
अभिमान से मस्तक रोज झुके।

भारत में लक्ष्य हिंदू पदशाही लिया,
जीवन भर जिसका मान किया
सपनों का देश बनाने पेशवा,
शिवाजी-स्वप्न, आँखों में भरा।

‘महादेव’ का जय-घोष लगाया,
भगवा साम्राज्य का ध्वज लहराया
अटक से कटक तक शौर्य द्वारा,
अपराजित योद्धा का इतिहास बनाया।

सजाया, सँवारा, आगे बढ़ाया,
खिलजी, मुगल, निजाम को हराया
जो हारे… सिकंदर, जो हारे नेपोलियन,
हो अजेय… ऐसे बाजीराव को नमन।

उन्हीं का हमें अब है कर्ज़ चुकाना,
श्रद्धा जगाकर, फिर बीड़ा उठाना।
न भारत का नक्शा थोड़ा भी घटाना,
अजेय योद्धा… बाजीराव-सा सजाना।

जो हारे पुर्तगाली, जो हारे वो बाबर
जो हारे… सिकंदर, जो हारे नेपोलियन।
हो अपराजित… ऐसे बाजीराव को नमन,
जो जीते… ऐसे बाजीराव को नमन॥