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तुम्हीं गोविंद, तुम्हीं राधा

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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रूप गुण कान्हा कैसे गाऊँ, हे राधेकृष्ण गिरधारी,
माता यशोदा के लल्ला करें छुप छुप माखन‌ चोरी।

बाँसुरी बजावे मोहित करते धेनु चरावे प्रभु गोपाला,
धुन सुन मुग्ध होवे जड़ चेतन नर नारी गोपी बाला।

कृष्ण प्रेम में भूली सुध-बुध वृषभ कुमारी राधा प्यारी,
वृंदावन में रास करे युगल रूप देखे अलौकिक संसारी।

सोलह कलाओं के स्वामी मोहित करते हो मुरलीधारी,
दानव दैत्यों को दिए सद्गति प्रभु श्री कृष्ण अवतारी।

द्रौपदी चीर हरण लज्जा राखत सखी नारी सम्मान,
पार्थ सारथी तुम मधुसुदन हे सखा तुम अभिमान।

कर्म ज्ञान का दिए रण में कृष्ण प्रभु उत्तम संदेश,
अमर सदा प्रभु जी कुरूक्षेत्र का वो गीता उपदेश।

प्रभु बनो सखा सारथी जीवन में सौभाग्य हम पाये,
भक्ति रस में डूबे जन मन प्रभु चरणों पे शीश नवाये।

तुम गिरधर गोपाल मीरा रानी विष पीये बने अमृत,
हर रूप में तुम करते हो प्रेम स्नेह कर्म सम्मोहित।

राधा के रोम-रोम रहते हो गोप गोपियों का दुलारा,
युग-युगान्तर से तुम्हारे प्रेम रस में भीगा जग सारा।

छेड़ाे मधुर धुन, आतुर हम सुनने तुम्हारी मुरलिया,
कैसे करूं दीन मैं प्रभु गुणगान हे मेरे सांवरिया।

हे युगल रूप नमन वंदन नाम पावन भाल का चंदन,
रहूं मैं कृपा पात्र नारायण हे युगल छवि अभिनंदन।

हरे कृष्ण हे राधे कृष्ण सदा मैं गाऊँ गोविंदा गिरधारी,
तुम ही कृष्ण कर्म-धर्म, तुम ही राधा कान्हा की प्यारी॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है