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दिव्य छंद तुलसी रचे

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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दिव्य छंद तुलसी रचे, भारत हुआ कृतज्ञ।
मै, उनके सम्मान में, दोहे लिखता अज्ञ॥

हुलसी तुलसी गंध सी, सेवित तुलसीदास।
भाव आतमा राम से, मानस किया उजास॥

दिखा गई रत्नावली, राम पन्थ मति धीर।
नरहरि जी सद्गुरु मिले, पायक हनुमत वीर॥

मानस मानस में रखे, पहचाने अरि मित्र।
तुलसी ने अनुपम रचा, रघुपति राम चरित्र॥

सन्त असन्त विवेचना, नारि धर्म, नर कर्म।
मानस में तुलसी लिखे, जीवन के सब मर्म॥

सुर नर मुनि गंधर्व के, लिखे चरित मतिमान।
दैत्यदेव वानर मनुज, संस्कृति सहित प्रमान॥

काकभुशुण्डी कपि गरुड़, जामवंत बलवान।
शबरी केवट मानवी, लिखे सहित सम्मान॥

भक्त संत द्विज के लिखे, राज धर्म संदेश।
राजा मुखिया मित्रता, रीति प्रीत परिवेश॥

सेतुसिंधु सर गिरि सरित, वन्य और वनवास।
आश्रम पावन गौतमी, लिखे अत्रि मुनिवास॥

मृग मरीचिका हेम छल, त्रिया हृदय की टेक।
रावण लंक निशाचरी, भक्ति विभीषण नेक॥

विविध छंद दोहे विविध, सोरठ लिखे अनूप।
चौपाई मय विधि विधा, तुलसी मानस रूप॥

संस्कृत हिन्दी बोलियाँ, अवधी मिश्रण मान।
मानस के अतिरिक्त भी, दिए काव्य अवदान॥

याद करें सिय राम को, संगत प्रिय हनुमान।
मानस दुर्लभ भूलना, तुलसी मान महान॥

तुलसी जन तुलसी हुए, घर-घर मानस मान।
कंठ-कंठ मणि शोभते, तुलसी सत्य महान॥

तुलसी नभ के चंद्रसम, देते विमल प्रभास।
बाबू लाल चकोर जस, वंदित तुलसीदास॥

तुलसी तुलसी गंध सम, रमे राम के नाम।
शर्मा बाबू लाल का, शत-शत उन्हें प्रणाम॥

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।