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देह का आत्मा हो जाना लघुकथा -डाॅ. दवे

अधिवेशन-सम्मान…

इंदौर (मप्र)।

लघुकथा जीवंत विधा है, इसका साहित्य में कोई विकल्प नहीं है। देह का आत्मा हो जाना लघुकथा है।
साहित्य अकादमी, मप्र के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने यह बात विचार प्रवाह साहित्य मंच द्वारा रविवार को इंदौर प्रेस क्लब सभागृह में आयोजित तृतीय लघुकथा अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कही। मुख्य अतिथि लघुकथाकार डाॅ. पुरुषोत्तम दुबे ने लघुकथा विधा में मप्र और इंदौर के योगदान का जिक्र करते हुए इंदौर को लघुकथा का इंद्रप्रस्थ बताया। स्वागत भाषण सुषमा दुबे व संस्था परिचय अर्चना मंडलोई ने दिया।
इस मौके पर वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी (इंदौर), घनश्याम मैथिल (भोपाल), श्रीमती ज्योति जैन (इंदौर), डाॅ. वसुधा गाडगिल (इंदौर) और श्रीमती सुनीता प्रकाश (भोपाल) को सम्मानित किया गया।
संचालन मुकेश तिवारी ने किया। आभार यशोधरा भटनागर ने माना।
🔹’सकारात्मकता’ साहित्य में इत्र समान
अधिवेशन में ‘लघुकथा में सकारात्मकता’ विषय पर चिंतन सत्र में लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक श्रीमती कांता राय ने कहा कि सकारात्मकता साहित्य में इत्र के समान है। साहित्य है तो वह नकारात्मक हो ही नहीं सकता। सत्र को वरिष्ठ लघुकथाकार श्रीमती मीरा जैन, संतोष सुपेकर और देवेंद्र सिंह सिसौदिया ने भी संबोधित किया। सत्र संचालन डाॅ. सोनाली सिंह ने किया। आभार सुषमा व्यास राजनिधि ने माना।
🔹हदय परिवर्तन की ताकत रखता है साहित्य
लघुकथा पाठ और पुरस्कार वितरण सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ लघुकथाकार डाॅ. योगेंद्रनाथ शुक्ल (इंदौर) ने कहा कि साहित्य हदय परिवर्तन की ताकत रखता है। सत्र को वरिष्ठ लेखिका माया बदेका (उज्जैन) ने भी संबोधित किया। सत्र संचालन डाॅ. आरती दुबे ने किया। आभार डाॅ. दीपा व्यास ने माना।