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नया एक सूरज उगाएँ

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’
मुंबई (महाराष्ट्र)
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गणतंत्र दिवस विशेष….

चलो हम सभी मिलके यह गीत गाएँ,
दिलों में नया एक सूरज उगाएँ।
ये भाषाओं के फूल,मोती धरम के,
इन्हें गूँथ कर एक माला बनाएँ॥
चलो…

बहुत जल चुकी अपने रिश्तों की होली,
ज़ुबानों पे हो अब मोहब्बत की बोली।
हमारा है भारत हमें गर्व इस पर,
चलो इसको मिलकर सँवारें-सजाएँ॥
चलो…

यह हिंदू,यह मुस्लिम,यह सिख,यह ईसाई,
सभी ने है भारत की शोभा बढ़ाई।
हमें बाँट पाए न दीवार कोई,
सभी मिलके भारत को एक घर बनाएँ॥
चलो…

बड़ी शान से कह रहा है हिमालय,
धरा से गगन तक यही गूँजती लय।
ये गुरुद्वारे,गिरजा,ये मस्जिद,शिवालय,
ये भाई हैं सबको गले से लगाएँ॥
चलो…

परिचय–डॉ. आशा वीरेंद्र कुमार मिश्रा का साहित्यिक उपनाम ‘आस’ है। १९६२ में २७ फरवरी को वाराणसी में जन्म हुआ है। वर्तमान में आपका स्थाई निवास मुम्बई (महाराष्ट्र)में है। हिंदी,मराठी, अंग्रेज़ी भाषा की जानकार डॉ. मिश्रा ने एम.ए., एम.एड. सहित पीएच.-डी.(शिक्षा)की शिक्षा हासिल की है। आप सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापिका होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत बालिका, महिला शिक्षण,स्वास्थ्य शिविर के आयोजन में सक्रियता से कार्यरत हैं। इनकी लेखन विधा-गीत, ग़ज़ल,कविता एवं लेख है। कई समाचार पत्र में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। सम्मान-पुरस्कार में आपके खाते में राष्ट्रपति पुरस्कार(२०१२),महापौर पुरस्कार(२००५-बृहन्मुम्बई महानगर पालिका) सहित शिक्षण क्षेत्र में निबंध,वक्तृत्व, गायन,वाद-विवाद आदि अनेक क्षेत्रों में विभिन्न पुरस्कार दर्ज हैं। ‘आस’ की विशेष उपलब्धि-पाठ्य पुस्तक मंडल बालभारती (पुणे) महाराष्ट्र में अभ्यास क्रम सदस्य होना है। लेखनी का उद्देश्य-अपने विचारों से लोगों को अवगत कराना,वर्तमान विषयों की जानकारी देना,कल्पना शक्ति का विकास करना है। इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचंद जी हैं।
प्रेरणापुंज-स्वप्रेरित हैं,तो विशेषज्ञता-शोध कार्य की है। डॉ. मिश्रा का जीवन लक्ष्य-लोगों को सही कार्य करने के लिए प्रेरित करना,महिला शिक्षण पर विशेष बल,ज्ञानवर्धक जानकारियों का प्रसार व जिज्ञासु प्रवृत्ति को बढ़ावा देना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा सहज,सरल व अपनत्व से भरी हुई भाषा है।’

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