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नारी

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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नारी रत्न अमूल्य धरा पर।
ईश्वर रूप सकल सचराचर॥
राम कृष्ण जन्माने वाली।
सृष्टि धर्म की सत प्रतिपाली॥

बेटी बहिन मात अरु दारा।
हर प्रतिरूप मनुज उद्धारा॥
नारी जग परहित तन धारी।
सुख-दु:ख पीड़ा सहे दुधारी॥

द्वय घर की सब जिम्मेदारी।
बिटिया वहन करे वह सारी॥
पढ़ी लिखी जब होती नारी।
दो-दो घर बनते संस्कारी॥

शान मान अरमान हमारी।
सुता बहिन पत्नी माँ नारी॥
त्याग मान मर्यादा मूरत।
हर नारी के झलके सूरत॥

शक्ति प्रदाता होती नारी।
बल पौरुष सर्वस दातारी॥
देश धरा अरु धर्म बचाती।
नारी हर कर्तव्य निभाती॥

सृष्टि चक्र संबल महतारी।
विधि ने रची धरा सम नारी॥
आदि शक्ति से मनु तन धारी।
रचे प्रथम नर अरु विधि नारी॥

नारी है हर नर की माता।
मानव तन की जीवन दाता॥
देव शक्ति बहु महापुरुष जन।
सृजित किए नारी ने जीवन॥

जीव जगत में है बहु प्राणी।
नारी है जग में कल्याणी॥
धीर धरा सम तन तपशीला।
नारी तन अनुपम प्रभु लीला॥

मनुज अंश धारे निज तन में।
निज जीवन भय करे न मन में॥
उदर भार सहती नौ महिने।
पीड़ा प्रसव अपरिमित सहने॥

नहीं धरा पर अस तन त्यागी।
नारि शक्ति जग हित बड़भागी॥
शिशु का पालन बहु कठिनाई।
सहज निभाए यथा मिताई॥

सबला बन कर रहना नारी।
तव तन शक्ति छिपी है भारी॥
नर नारी द्वय रथ के पहिये।
कर सम्मान सुखी नर रहिये॥

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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