प्यासा पंछी,उड़ता मन
बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* यह,मन प्यासा,पंछी मेरा, नील गगन उड़ करे बसेरा। पल में देश विदेशों विचरण, कभी रुष्ट,पल में अभिनंदन। प्यासा पंछी,उड़ता मन॥ पल में अवध,परिक्रम करता, सरयू जल…