राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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नव वर्ष विशेष…..
ना-ना खुशियां ना मनाएंगे
नववर्ष में हर्ष ना जतायेंगे,
आओ खड़े हो साथ मेरे
कारण हम तुम्हें बतायेंगे।
झेल चुका कोरोना का प्रहार
आगे ओमिक्रान है अब तैयार,
कैसे छूटे जनों को भूल पायेंगे
ना-ना खुशियाँ ना हम मनायेंगे।
विद्यार्थियों से विद्या रूठ गई
मजदूरों का मजदूरी छूट गया,
कब तक कर्ज से काम चलायेंगे
ना-ना नववर्ष में हर्ष ना जतायेंगे।
यह देखकर मन हमारा रोता है
असमय जब अपनों को खोता है,
पर यह देख आँसू हो गए लाल
विवश हो अंत किया जीवनकाल।
ना-ना खुशियां ना मनाएंगे
नववर्ष में हर्ष ना जतायेंगे।
रोता मन और झेल न पायेंगे,
ना-ना खुशियाँ ना मनायेंगे॥
परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।