कुल पृष्ठ दर्शन : 206

You are currently viewing नृत्य मधुरम प्राण सरगम

नृत्य मधुरम प्राण सरगम

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

जीवन है सरगम,ताल नृत्य मधुरम,
जन्म नाद ब्रम्ह ॐ से,पावन पुनीत है।

नृत्य से न झूम पाए,न गीत सुन मुस्काए,
वह न हृदय कर्ण,रंध्र ही प्रतीत है।

शंकर के डमरू से,भवानी के घुँघरू से,
शारदे की वीणा से स्वर चली रीत है।

गोकुल या गोपुर में राधे-रानी नूपुर में,
श्याम बंशी सुर प्रगट वसुंधरा जीत है।

सरसराहट धीमी,पवन मंद उपजी,
बातें करना पत्तों की वही तो संगीत है।

झीलों की झपकी में,नदियों की थपकी में,
झरने के झरने में,इन्हीं में तो गीत है।

जंगल वन ऊँघते,उपवन के झूमते,
फूल के मुस्कुराने से,तान छिड़ी मीत है।

बरसात की बूंदों में,पतझड़ की नींदों में,
बजती साज रिदम हृदय की शीत है।

सागर की सुर गर्जना,बिजली का तड़कना,
मेघ घन तड़पना,संगीत का हित है।

चारों ओर वाद्य सुन,सुर या बेसुरी धुन,
ताल लय में विलय,यही आत्मा प्रीत है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply