कुल पृष्ठ दर्शन : 277

You are currently viewing परिवर्तन

परिवर्तन

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

स्थिर जल दुर्गंधित हो,करते रोग शोक आमंत्रन,
आवश्यक यौगिक लौकिक,प्रायोगिक है परिवर्तन…।

विचार वेदना संवेदना नित विधि नियम सयंम सबमें,
बदलाव का भाव आवश्यक है सृष्टि का संचालन…।

परिवर्तन प्रादुर्भाव ब्रम्हांड सृजन से मूल तत्व रहा,
नैसर्गिक है प्रकृति हो या जन-मन का परिवर्तन…।

चपल तड़ित सम मन तरँग नवनिर्माण करते हैं,
स्थिर मन मृत जैसा है,जो करते नहीं विचरन…।

भित्ति बने चित्त नूतन भित्ति चित्र उकेरे अप्रतिम,
परावर्तित हो हे मति ! दे नव नव ज्ञान अर्जन…।

दुर्लभ सुलभ कभी,हो वज्र कभी कोमल कोंपल,
कालान्तर वही सुलभ लभ्य हो दुर्लभ दर्शन…।

तिब्र जवलन्त ताप कभी,कभी बनते हिमखण्ड,
मनतृष्णा द्रुतगामी प्रवेश करे अति दुर्गम वन…।

निहारिकाएं अदृश्य धीरे से परिवर्तित होते रहते,
सकल सचल सराचर व्यापित परिवर्तन चिंतन…।

लोहित व्योम कभी नील पीत अरूण वृहद परिवर्तन,
प्रस्तर मन भी होते विदीर्ण चूर्ण पुनः-पुनः घर्षण…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply