डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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उठाकर दर्द की चादर हमारे गाँव वालों ने,
हमें घर से किया बेघर हमारे गाँव वालों ने
घरौंदा एक बनाया पर उसे तुमने इसे उजाड़ा क्यूँ ?
सपनों के शीश महल को बनने से पहले गिराया क्यूँ ?
घर में थे अनेक लोग, फिर भी सूना लगता था,
क्यूँकि दिल से थे सब दूर, ये महसूस होता था
शहर की हवा लगी है इन सपन सुहावन गाँवों को,
अब कोई नहीं कहता है, जाकर वापस आने को।
सूरज आग उगलता ज्यादा, वह है गुस्से में शायद,
जंगल कट रहे हैं गाँव से अब पेड़ ही गायब।
नदियाँ सूख रही हैं, खेत मेरे हो रहे बजंर,
जहरीला धुँआ आसमान से तारे ही गायब।
बचपन के जो खेल, वो जाने कहाँ गए!
अब तो मोबाइल और लैपटॉप ने बचपन छीन लिए
अब बच्चे हम बड़ों को शिक्षा देते हैं नयी,
पुराना राग अलापो मत, नई टेक्निक आ गई।
अब तो दिखती नहीं गाँव की वो गोरियाँ हमको,
पनघट खेतों में जाती हुई वो छोरियाँ हमको
अब इन नूरानी आँखों से सपने हो गए गायब,
हम तो पहुँचे ही थे घर से चले गए शायद।
अँधियारी काली रातों में चाँद निहारा करते हैं,
आहट कोई सच होगी, हम यह सोचा करते हैं।
कायाकल्प करो इन गाँवों का अनुरोध है उनसे,
लहलहाते खेत और सच हो जाएँ सब सपने॥
परिचय- डॉ. गायत्री शर्मा का साहित्यिक नाम ‘प्रीत’ है। २० मार्च १९६५ को इन्दौर में जन्मीं तथा वर्तमान में स्थाई रुप से इन्दौर (मध्यप्रदेश )में रहती हैं। आपको हिंदी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. (अर्थशास्त्र) तक शिक्षित डॉ. शर्मा का कार्य क्षेत्र-गृहिणी का है,तो सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज के लिए कार्य करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं में पदों पर रहते हुए आप भारतीय कला,संस्कृति व समाज के लिए काम कर रही हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिका में इनकी अनवरत रचनाओं का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। सम्मान-पुरस्कार में विद्या वाचस्पति सम्मान, सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार सहित कोरबा के जिलाधीश से सम्मान प्राप्त हुआ है तो कई संस्थाओं से भी अनेक बार अखिल भारतीय सम्मान मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं से सम्मान,आकाशवाणी से कविता का प्रसारण औऱ अभा मंचों पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त होना है। डॉ. गायत्री की लेखनी का उद्देश्य-समाज और देश को नई दिशा देना,देश के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करना,समाज में फैली बुराइयों को दूर करना, एक स्वस्थ और सुखी समाज व देश का निर्माण करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली डॉ. शर्मा कै लिए प्रेरणापुंज-तुलसीदास जी,सूरदास जी हैं । आपकी विशेषज्ञता-गीत,ग़ज़ल,कविता है।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश प्रेम व हिंदी भाषा के प्रति हमारे दिल में सम्मान व आदर की भावना होना चाहिए। मेरा देश महान है। हमारी कविताओं में भी देश प्रेम की भावना की झलक होनी चाहिए। हिंदी के प्रति मन में अगाध श्रद्धा हो,अंग्रेजी को त्याग कर हिंदी को अपनाना चाहिए।”