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बंद किताब

प्रो. लक्ष्मी यादव
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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आज इंटरनेट की दुनिया में,
मुझे बंद कर दिया अलमारी में
जिसे देखो वह मोबाइल की दुनिया में,
एक समय था सबकी आँखों में, मैं बसती थी
सफर करने वाले मुसाफिरों के साथ चलती थी,
कहानी हो या चुटकुलों की दुनिया हो,
सब पर मेरा राज था, सबको मुझ पर नाज़ था
इंटरनेट की दुनिया ने बंद कर दिया अलमारी में,
जिसे देखो वह मोबाइल खोले बैठा है
जीवन की आपा-धापी में अपने-आपको खो बैठा है
मोबाइल और इंटरनेट की इस दुनिया में जहां सभी को जोड़ा है,
वहीं इसके चाहने वालों ने कई रिश्तों को तोड़ा है
पुस्तकों से नाता टूटा कहानी और कविताएं छूटी।
छूट गई दोस्ती-यारी, छूट गई दुनियादारी,
आज इंटरनेट की दुनिया ने बंद कर दिया अलमारी में॥

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