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बताओ माँ,मेरे दामन में हिस्से क्यों नहीं आते ?

शैलेश गोंड’विकास मिर्ज़ापुरी’
बनारस (उत्तर प्रदेश)

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खुदी चलकर बहाने से ये रस्ते क्यों नहीं आते।
घरानों से मिरी बेटी को रिश्ते क्यों नहीं आतेl

पराई थीं,पराई हूँ,पराई ही,रहूँगी मैं,
बताओ माँ,मेरे दामन में हिस्से क्यों नहीं आते।

मुझे तालीम लेने की बड़ी हसरत ज़िगर में है,
मग़र चालीस रुपये में ये बस्ते क्यों नहीं आते।

सुना हमने ज़मानेभर का दिलचस्प फ़साना पर,
जुबानों पे वो दादी वाले किस्से क्यों नहीं आते।

खुदा की बंदगी में हाथ सुबहो-शाम उठते हैं,
हमारा दर्द सुनने फिर फरिश्ते क्यों नहीं आतेll

परिचय-शैलेश गोंड का साहित्यिक-विकास मिर्ज़ापुरी हैl इनकी जन्म तारीख १० जुलाई १९९२ व जन्म स्थान-बरैनी (मिर्ज़ापुर) हैl वर्तमान में बनारस(छित्तुपुर) में,जबकि स्थाई पता-बरैनी (मिर्ज़ापुर,उत्तर प्रदेश)हैl इनको हिंदी,इंग्लिश और उर्दू भाषा का ज्ञान हैl उत्तर प्रदेश के वासी विकास मिर्ज़ापुरी ने बी.ए.(अंग्रेजी) सहित एम.ए.(अंग्रेजी)तथा अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया हैl कार्यक्षेत्र में आप अंग्रेजी के अध्यापक(निजी) और विद्यार्थी भी हैंl लेखन विधा-गजल हैl लेखनी का उद्देश्य-साहित्य को ज़िंदा रखना हैl आपकी दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामधारी सिंह `दिनकर` और शैलेंद्र जी हैंl प्रेरणा पुंज-भारतीय समस्याएं हैंl देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“जो यहां जन्मा है देशभक्त है,
और हिंदी उसका रक्त हैl”

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