अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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नागपंचमी,
पावन योग
बनें ना नाग,
ना काटें
शरणागत।
मानवता,
पुण्य कमाएँ
फन ना फैलाएँ,
करें सबका भला
पालनहार।
विषधर,
मिटाएँ कष्ट
रखें बड़ा हृदय,
संत समान
संकट।
परिवार,
साथ चलें
जहर ना उगलें,
इंसान बनें
अनुरागी।
दुनियादारी,
अपनापन हो
राह चलें सच्चाई।
ईश्वर देखता,
कर्म॥