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बरसात में…

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’
शेखपुरा(बिहार)
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कारे कारे मतवारे,जालंधर आए आज आकाश में,
झूम-झूम मन मयूरा नाचे,रिमझिम-सी बरसात में।

खेत खार बाग सब जागे,वारिधर की हुंकार में,
बिजुरी चमके चम-चम नभ में,दिन-सा होता रात में।

कारी-कारी बदरी आई,ठंडी पुरवाई लाई साथ में,
दादुर,मोर,पपीहा,झींगुर को खुशियां मिली सौगात में।

नदी-नाले नव जीवन पाए,जीव-जंतु भी थे आस में,
बुझी प्यास पृथ्वी हुई उर्वर,पड़ा पानी जब बरसात में।

उमड़-घुमड़ कर कारे मेघा,मचाए उधम आकाश में,
‘आजाद’ अकेला गरजे मेघा,रिमझिम पानी गिरे दिन-रात में॥

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