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माँ…

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’
पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)
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माँ मुझे तू निज चरण की धूल दे दे।
नेह का माँ तू सुवासित फूल दे दे॥
माँ मुझे तू निज…

लेखनी को नित नवल तू गान देना,
मैं मनुज हूँ तू सदा ये भान देना।
सह सकूँ मैं कंटकों की धार को माँ,
यदि मिलें तो छू सकूँ अंगार को माँ।
निज कृपा का माँ मुझे दुकूल दे दे,
नेह का माँ तू सुवासित फूल दे दे॥
माँ मुझे तू…

फँस गया मँझधार में तो पार करना,
नित सरल तू जिंदगी की धार करना।
भाष देना उर सभी का जीत लूँ मैं,
नित सभी से नेह का ही गीत लूँ मैं।
निज चरण में तू सुखों का मूल दे दे,
नेह का माँ तू सुवासित फूल दे दे॥

माँ मुझे तू निज चरण की धूल दे दे।
नेह का माँ तू सुवासित फूल दे दे॥
माँ मुझे तू निज चरण…

परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला पिथौरागढ़ है। हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले उत्तराखण्ड राज्य के वासी डॉ.कापड़ी की शिक्षा-स्नातक(पशु चिकित्सा विज्ञान)और कार्य क्षेत्र-पिथौरागढ़ (मुख्य पशु चिकित्साधिकारी)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत पर्वतीय क्षेत्र से पलायन करते युवाओं को पशुपालन से जोड़ना और उत्तरांचल का उत्थान करना,पर्वतीय क्षेत्र की समस्याओं के समाधान तलाशना तथा वृक्षारोपण की ओर जागरूक करना है। आपकी लेखन विधा-गीत,दोहे है। काव्य संग्रह ‘शिलादूत‘ का विमोचन हो चुका है। सागर की लेखनी का उद्देश्य-मन के भाव से स्वयं लेखनी को स्फूर्त कर शब्द उकेरना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-सुमित्रानन्दन पंत एवं महादेवी वर्मा तो प्रेरणा पुंज-जन्मदाता माँ श्रीमती भागीरथी देवी हैं। आपकी विशेषज्ञता-गीत एवं दोहा लेखन है।

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