सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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रक्षाबंधन विशेष…
भारत की बहनें बोल रहीं,
रक्षाबंधन पर भाई से
उपहार आज का बस ये ही,
तुम लो बदला उस कसाई से।
सीमा पर सैनिक डटे हमारे,
रक्षा करते हैं दुश्मन से
पर कैसे रक्षा करे बहन,
अन्दर के छिपे दुशासन से।
बहुत हो चुकी है ये कहानी,
बहुत हुई अब तक मनमानी
विष का घड़ा अब भरा समझना,
टूटेगा सुन तू अभिमानी।
सभी लगा दो पूरी ताक़त,
बदलो उन क़ानूनों को
घूम रहा है जुल्मी जहाँ पर,
डर नहीं कोई हैवानों को।
जब जनता सारी एकसाथ,
मिलकर आवाज़ उठाएगी
तब किसी में ऐसी शक्ति नहीं,
जो क़ानून बदल नहीं पाएगी।
जुल्मी को खुला नहीं छोड़ो,
तुम आगे की राहें खोलो।
क़ानून कोई ऐसा सोचो,
सब एकसाथ मिलकर बोलो॥