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बारिश अच्छी है

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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होता है जब समुद्र गरम,
पानी वाष्प बन के उड़ता है
बादल बन के हो जाता भारी,
तो बारिश बन के बरसता है।

जब हवा दौड़ाती है बादल को,
और टकरवाती है पहाड़ों से
सम्भाल नहीं पाते हैं बादल,
जल वहीं छोड़ देते हैं
जिसे हम सब बारिश कहते हैं।

बारिश के मौसम होते अलग-अलग,
कर देते सब कुछ विलग-विलग
आषाढ़, सावन, भादो और क्वांर
बारिश के हैं ये मौसम चार।

बारिश आती है हमेशा घटा के साथ,
बिजली उसकी संगिनी, हवा भी साथ
कभी बिन मौसम के भी बरसती है,
जब भी बरसती अच्छी लगती है
मुझे तो बारिश बड़ी प्यारी लगती है।

बारिश के भी होते रूप अनेक,
कभी रिमझिम-रिमझिम तो कभी
फुहार के रूप में तो कभी,
मूसलाधार बरसती है
बारिश खुशियाँ लाती है।

अपने दिल का टुकड़ा जब मॉं,
किसी और के हाथ सौंपती है
तो मॉं की आँखें सावन की,
बारिश की तरह बरसती हैं।

बाप जब अपनी प्यारी,
कन्या का दान करता है
तब उसकी आँखें भादो की,
बारिश की तरह बरसती हैं।

बारिश सबके लिए खुशियाँ लाती है,
पर विरहन के लिए तड़पन लाती है
रिमझिम-रिमझिम बारिश में,
प्रेमी युगल एक-दूजे की बाँह़ों में
तब बारिश रानी बन जाती है।

‘दीनेश’ बारिश का क्या करें बखान,
अब भी रिमझिम-रिमझिम बरस रही है
हर जीव-जन्तु को जीवन दे रही है,
धरती मॉं को हरा-भरा बना रही है
बारिश चहुँओर पानी-पानी कर रही है।

बारिश कभी-कभी गजब भी ढाती है,
जब ज्यादा बरस के बाढ़ लाती है।
सारी दुनिया में तबाही मचाती है,
फिर भी बारिश अच्छी है
इसकी कहानी सच्ची है॥

परिचय– दिनेश चन्द्र प्रसाद का साहित्यिक उपनाम ‘दीनेश’ है। सिवान (बिहार) में ५ नवम्बर १९५९ को जन्मे एवं वर्तमान स्थाई बसेरा कलकत्ता में ही है। आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, बंगला, नेपाली और भोजपुरी भाषा का भी ज्ञान है। पश्चिम बंगाल के जिला २४ परगाना (उत्तर) के श्री प्रसाद की शिक्षा स्नातक व विद्यावाचस्पति है। सेवानिवृत्ति के बाद से आप सामाजिक कार्यों में भाग लेते रहते हैं। इनकी लेखन विधा कविता, कहानी, गीत, लघुकथा एवं आलेख इत्यादि है। ‘अगर इजाजत हो’ (काव्य संकलन) सहित २०० से ज्यादा रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको कई सम्मान-पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री प्रसाद की लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देना, स्वस्थ और सुंदर समाज का निर्माण करना एवं सबके अंदर देश भक्ति की भावना होने के साथ ही धर्म-जाति-ऊंच-नीच के बवंडर से निकलकर इंसानियत में विश्वास की प्रेरणा देना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-पुराने सभी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज-माँ है। आपका जीवन लक्ष्य-कुछ अच्छा करना है, जिसे लोग हमेशा याद रखें। ‘दीनेश’ के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए। देश है तभी हम हैं। देश रहेगा तभी जाति-धर्म के लिए लड़ सकते हैं। जब देश ही नहीं रहेगा तो कौन-सा धर्म ? देश प्रेम ही धर्म होना चाहिए और जाति इंसानियत।