सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’
जयपुर (राजस्थान)
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चले हम तो चले,
रेलम-रेल चले
पनघट नहीं घाट चले,
माँ गंगा के द्वार चले।
तप-जप नाम करे,
भक्ति भाव आस्था लिए
पग न डग-मग हो जाए,
आस्था के सैलाब में।
मिलते महापर्व पर,
वसंत की बेला में।
पग-पग हम चले,
महाकुम्भ मेले में॥