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महा तपस्वी ऋषि प्रवर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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अक्षत जल चन्दन कुसुम, पूजें जगदाधार।
पावन अक्षय तृतीया, परशुराम अवतार॥

लक्ष्मीश्वर पूजन करें, मिले जगत सुखसार।
नर नारायण रूप में, विष्णु लिये अवतार॥

परशुराम क्रोधी प्रवर, श्रीश विष्णु अवतार।
किया धरा क्षत्रिय रहित, कुल हैहय संहार॥

महा तपस्वी ऋषि प्रवर, परशुराम बलवान।
सर्जक पालक सृष्टि हरि, संहारक शैतान॥

अहंकार क्षत्रिय दमन, परशुराम संकल्प।
धूर विरोधी हिंस्र पथ, न था कोई विकल्प॥

परशुराम अक्षय अमर, शस्त्र ज्ञान भण्डार।
महाकाल विकराल रण, महिमा अपरम्पार॥

रूप धरा हयग्रीव का, दलन पाप संहार।
दान धर्म पूजन मिले, अन्नपूर्ण परिवार॥

लेखन महाभारत शुरु, पंचम वेद स्वरूप।
प्रभु गणेश भारत लिखा, कथा व्यास अनुरूप॥

हनुमत पूजन आज हो, रोग शोक हो नाश।
अक्षय सुख सम्पद सुयश, हो पूरा मन आश॥

सनातनी उत्सव प्रमुख, नार्यशक्ति उपवास।
अक्षय तृतीया पर्व शुभ, सब देवों का वास॥

वैशाखी शुक्ला दिवस, तृतीया तिथि पवित्र।
लक्ष्मी नारायण मुदित, बने भक्त प्रभु मित्र॥

क्रय सोना शुभ दिन रखे, उत्तर पूर्व दिशि गेह।
पीढ़ी दर पीढ़ी रहे वैभव यश सुख नेह॥

अन्न वस्त्र फल दान में, जलघट बर्तन गाय।
चीनी घी खड़ाऊँ जमीं, चावल दान शुभाय॥

दीन-हीन भोजन करें, पाएँ आशीर्वाद।
मिटे सकल व्याधि व्यसन, धवल कीर्ति प्रासाद॥

बस ‘निकुंज’ प्रभु प्रार्थना, रोग शोक आकाल।
दूर करो सब आपदा, कर श्रीहरि खुशहाल॥

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥