रोहित मिश्र
प्रयागराज(उत्तरप्रदेश)
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माँ का प्यार,माँ का दुलार,है सबसे अनमोल,
कष्ट मिटाते हैं सभी,माँ के सारे बोल।
नैन भरे हैं नेह से,कर रही दुलार,
दूर से बुलाएँ माँ,लुटा रही है प्यार।
माँ की ममता मुझे मिली,माँ तेरी मुस्कान,
माँ मंगल माहेश्वरी,मेरी माँ महान।
करूँ समर्पण मैं सदा,माँ मिलना हर बार,
मंदिर-मस्जिद हो तुम्हीं,तू ही मेरा संसार।
नौ माह संभाला कोख में,पीड़ा सहे अपार,
माँ के निश्छल प्यार का,कर्ज हुआ अपार।
माता-पिता ने प्यार से,बाँधे रखा परिवार,
दया भाव अरु नेह से,रखना इन्हें संभाल।
उनको स्वर्ग नसीब हो,जिन्हें मिले माँ का आशीर्वाद,
माँ के चरणों में सदा,मिले मुझे अधिवास।
नि:स्वार्थ भाव से मेरी माँ,देती दुआ हजार,
सिर पर रखकर हाथ सदा,करती प्यार दुलार॥