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मेघ तड़पाते मुझे

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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अपलक निहारूँ साजना मैं मोहिनी सूरत मगन,
तेरी नजर मुझ पर पड़े मुखड़े छुपा देखूं सपन।

कर साज कंगन मेंहदी श्रृंगार सब तेरे लिये,
मैं लाज भारी पलक ढक हिय झलक में देखूं सजन।

सुन तीज सावन में करूं शिव जी मनाती साजना,
गजरे लगा वेणी सजा दे धार काजल की नयन।

झूले लगा कर प्रेम के गाये तराने झूमकर,
बरसे झमक बाहर निगोड़ी बूंद बढ़ते मन अगन।

वारी हमारी प्रीत न लग जाये नज़र मनमीत सुन,
मधुश्रावणी फूलों भरी चुन-चुन उतारूँ मैं गगन।

बूंदन पड़े जब आँगना में मेघ तड़पाते मुझे,
प्यारे महावर पाँव बहते कांप जाते तन-बदन।

रिमझिम फुहारों में कली-सी डोलती मैं हूँ खड़ी,
गुंजन करे भ्रमर बने रस घोलते तुम मीठे बयन॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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