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‘यस बॉस’ के जरिए अंतराल को कम और खत्म करने का प्रयास- डॉ. धींग

विमोचन…

तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु)।

तमिल साहित्य का गौरव ‘तिरुक्कुरल’ भारतीय संस्कृति एवं मानवीय चिंतन की शुद्ध और विराट अभिव्यक्ति है। तिरुक्कुरल सूक्तियों का भंडार है। सूक्तियाँ राजा और प्रजा, बड़े और छोटे, अभिभावक और संतति, गुरु और शिष्य सबके लिए प्रेरक हैं। भारत में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी में लेखक की यह पुस्तक तमिल साहित्य की सुगंध को हिंदीभाषी क्षेत्रों में पहुंचाने में सहायक बनेगी। इस पुस्तक के जरिए लेखक ने पुरातन और आधुनिक ज्ञान के बीच के अंतराल को कम और खत्म करने का प्रयास किया है।
तमिल विद्वान और सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी सोमा वीरप्पन की प्रथम हिंदी पुस्तक ‘यस बॉस’ का विमोचन मंगलवार को भारतीय प्रबंधन संस्थान तिरुचिरापल्ली (आईआईएम, त्रिची) में करते हुए यह बात अंतरराष्ट्रीय प्राकृत केन्द्र के पूर्व निदेशक साहित्यकार डॉ. दिलीप धींग ने कही। तिरुकुरल के चुनिंदा नीति वचनों को प्रबंधन से जोड़ कर लिखी इस किताब का विमोचन आईआईएम के निदेशक डॉ. पवन कुमार सिंह ने किया। डॉ. सिंह ने कहा कि जीवन में साहित्य और गणित का ज्ञान जरूरी है। पुस्तक को पाठक हितैषी बताते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ ६० कुरल के आधार पर लिखी पुस्तक इतनी शिक्षाप्रद है, तो संपूर्ण तिरुक्कुरल की महत्ता का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है।