भागचंद ठाकुर
कुल्लू (हिमाचल प्रदेश)
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ग्रेट हिमालय श्रृंखला के साथ बस है बाबा का द्वारा,
सबसे न्यारा, सबसे प्यारा, भोला बाबा हमारा.
नीचे थचाडू है ऊपर है भीम डुवार,
हे बंदे! बाबा जी अवश्य सुनेंगे तेरी पुकार।
जून-जुलाई में लगता है यहाँ भंडारा,
बाबा के दर्शन के लिए चला आता है जग सारा।
पार्वती बाग में फूल हैं प्यारे-प्यारे,
भीम बहाई के पत्थर हैं सबसे न्यारे।
रास्ते में मिलता है अनोखा लाल पानी,
जिसे पीकर बदल दे तू अपनी कहानी।
ऊँचे-ऊँचे पहाड़ लगता है आपस में करते हैं बातें,
ता-उम्र याद रहेगी आपके यहाँ की मनमोहक यादें।
रामपुर बुशहर होकर है यहाँ के लिए रास्ता,
हे बंदे! बाबा जी से तेरा कुछ तो है वास्ता।
१८ हजार फुट की ऊँचाई पर है बाबा का बसेरा,
इस बार जरूर लगाकर आना श्रीखंड का फेरा।
विहंगम दृश्य के बीच में गूंजते हैं बाबा जी के नारे,
बाबा जी की अद्भुत छठा देखकर मगन होते हैं भक्त सारे।
तो आइए, श्रीखंड यात्रा का करते हैं दीदार,
बाबाजी बेसब्री से कर रहे हैं आपका इंतजार॥