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यादें

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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बहुत रुला जाती हैं, दिल को जला जाती हैं,
नींदों में जगा जाती हैं, कितना तड़पा जाती हैं…
‘यादें’ जब भी आती हैं।

भीगे-भीगे अल्फाजों को, लबों पर लाकर,
दिल के जज्बातों को, फ़िर से दोहरा जाती हैं…
‘यादें’ जब भी आती हैं।

खाली अन्धियारे मन के, हर एक कोने में,
बीते लम्हों के टूटे मोती, बिखरा जाती हैं।
‘यादें’ जब भी आती हैं।

हम पे जो गुजरी थी, उन सारी तकलीफों के,
दिल में दबे हुए, शोलों को भड़का जाती हैं…
‘यादें’ जब भी आती हैं।

कितना सता जाती हैं, दीवाना बना जाती है,
हर जख्म दुखा जाती हैं, फ़िर तन्हा कर जाती हैं
‘यादें’ जब भी आती हैं॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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