अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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यहाँ मित्रता तो बाग है, और मित्रता आग।
रखो मित्रता प्रेम से, बने मित्रता राग॥
जोड़ नहीं है मित्रता, ये तो है बेजोड़।
कुछ भी करना साथियों, इसका ना हो तोड़॥
यही ईश उपकार है, रखो सदा विश्वास।
करना ना तुम छल कभी, ना तोड़ो तुम आस॥
रिश्ता दूजा है नहीं, ये तो है अनमोल।
भूल मित्रता ना कभी, ना पैसे से तौल॥
सदा रहे गरिमा यहाँ, रहे दोस्ती लाज,
आँखों में ना अश्रु हों, यही माँग है आज॥