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रह जाओगे रोते

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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विश्व पर्यावरण दिवस (५ जून) विशेष…

इंसान,
बड़ा विद्वान
कब समझेगा धरा ?
जब विलुप्त
प्रकृति।

कुदरत,
कम वापरो
स्वार्थ छोड़ दो,
मिटी तो
सर्वनाश।

पर्यावरण
बड़ी गिरावट
समय है चेतो,
रोना पड़ेगा
भविष्य।

चेतावनी,
समझ जाइए
फिर कौन बोलेगा ?
नीला आसमान,
सुकून।

प्रदूषण,
यारी जानलेवा
पंचतत्व बचा लो,
स्वयं बचोगे
जड़।

सुनो,
‘वसुधा’ कराह
आराम दो इसे,
ठहरो भी
गंभीरता।

खिलवाड़,
मजाक नहीं
रह जाओगे रोते,
कहर बरपा
मानवता।

निर्दयता,
बंद करो
पेड़ मत काटो,
सब अनमोल
संसाधन।

हवा,
हमें चाहिए
मन का आनंद,
बड़ा जरूरी
मौसम।

जलवायु,
बड़ी कीमती
सिमटती हरियाली।
चिंता करो,
जीवन॥