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विदा करते वक्त अम्मा भी रोई थी…

गोलू सिंह
रोहतास(बिहार)
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जब लांघी थी घर की चौखट,
मेरे घर की दहलीज़ भी रोई थी
चुपके-चुपके झांकता था जहां से,
उस दीवाल की खिड़की भी रोई थी
जब चला था घर से शहर की ओर,
मुझे विदा करते वक्त मेरी अम्मा भी रोई थी।

मेरी आँखें भी डबडबा गईं,
पर किसी तरह संभाला खुद को
जाते हुए आँसूओं की गर्त से,
बाहर निकाला खुद को
फिर याद आया,
वह अम्मा थी,जो मेरे बचपन को संजोई थीl
मुझे विदा…

जब छोटा था,
मेरी आँख किचियो से सट जाती थी
तब इधर-उधर छटपटाता हुआ,
उसकी गोद में लपक जाता था
फिर पोंछती थी भिगो कर कपड़ा,
मेरी आँखों को
और मैं खुश हो जमीं पर उतर जाता था,
मैं जब धूल से ढका हुआ
घर आता था,
हर बार अम्मा अपने हाथों से मुझे धोई थीl
मुझे विदा…

वह सकरात जो हुआ करता था,
मेरे बचपन का मेला
जहां खिलौनों से सजा हुआ,
लगता था ठेला
वह अम्मा थी,जब पैसे कम पड़ जाते तो,
सबसे छुपकर भी देती थी
वह अम्मा थी,जो मेरी खातिर पापा से,
झूठ बोलकर अपना विश्वास खोई थीl
मुझे विदा…

वह अम्मा थी,
जो ना कहने पर भी खिलाती थी
वह अम्मा थी,
जो दूध ना पीने पर भी पिलाती थी
वह अम्मा थी,
जो मेरे बालों को संवारती थी
वह अम्मा थी,
जो गुस्से में भी धीरे से मारती थी
वह अम्मा थी,
जिसकी गोद में डर से सिमट जाता था
वह अम्मा थी,
जिसे दूर पाकर मैं सिसक जाता थाl

वह अम्मा है,
जो आज भी मेरा हाल लिया करती है
वह अम्मा है,
जो ना कहने पर भी बहुत कुछ जान लिया करती है
वह अम्मा है,
जो अब भी घर जाने पर सर आँखों पर बैठाती है
वह अम्मा है,
जो अब भी मेरे पसंद का पकवान बनाती है
वह अम्मा है,
जो अब भी मेरी खातिर पापा से झूठ बोलकर
अपना विश्वास खोती है
वह अम्मा है,
जो अब भी भगवान के सामने बैठ मेरे लिए रोती हैl

वह अम्मा है,
जिसकी तवे की रोटी अभी भी सीधे मेरी थाली तक आती है
वह अम्मा है,
जो अभी भी मेरे बालों में कंघी लगाती है
पर डरता हूँ मैं उस रिश्ते से,
जिस रिश्ते मे बंध कोई मेरी जीवन संगिनी होगी
वह किसी की बेटी,तो किसी की भगिनी होगी,
फिर न जाने मेरे घर में कैसा
उसका प्रस्ताव होगा,
फिर वह अम्मा रहेगी या अम्मा का अभाव होगा ??
(इक दृष्टि यहाँ भी: किचियो यानी आँख की गंदगी)

परिचय-गोलू सिंह का जन्म १६ जनवरी १९९९ को मेदनीपुर में हुआ है। इनका उपनाम-गोलू एनजीथ्री है।lनिवास मेदनीपुर,जिला-रोहतास(बिहार) में है। यह हिंदी भाषा जानते हैं। बिहार निवासी श्री सिंह वर्तमान में कला विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। इनकी लेखन विधा-कविता ही है। लेखनी का मकसद समाज-देश में परिवर्तन लाना है। इनके पसंदीदा कवि-रामधारी सिंह `दिनकर` और प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।

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