राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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दशहरे की आपको बहुत-बहुत बधाई,
दशहरे की आपको बहुत बहुत बधाई
मिठास आए जीवन में जैसे हो मिठाई,
मिले साथ औरों का जैसे सगा भाई।
दशहरे की आपको बहुत बहुत बधाई…
हुआ है पदार्पण हमारी माता भवानी का,
करें त्याग काम क्रोध लोभ कर्कश वाणी का
करें आत्मसाथ सत्य अहिंसा मधुर वाणी का,
बन पाऊं यदि कारन मैं आपकी हँसी का
होगी सच्ची आराधना वही माता रानी की।
दशहरा है दस दिनों का त्योहार,
सिखाता हमें कभी ना मानें हार
अपनों की बात क्या दुश्मनों से करें प्यार,
निःसहाय की करें सहायता
और निर्बलों को करें दुलार।
दशहरा है सत्य की विजय का प्रतीक,
बनाएं हम राम समान अपना चरित्र
भाई हो नेक लाखों में एक भरत-सा,
तो भक्ति में लें केवल हनुमान से सीख
बनें हम सत्य,अहिंसा और प्रेम का प्रतीक।
त्रेता के रावण में भी तो अच्छाई थी,
तभी सीता जी बची लंका में सच्चाई थी
आज मौजूद है हर दिल में रावण,
पकड़ लिया है सभी ने स्वार्थ का दामन
संकल्प लें करें सब इसका दमन।
आज के पुत्र कहाँ वन जा पाते हैं,
स्वार्थवश अपने पिता को ही भूल जाते हैं
भाई ही तो भाई को कोर्ट घसीट लाते हैं,
सेवक भी विपक्षों से नाता जोड़ आते हैं
राजा भी तो प्रजा हित को काट खाते हैं।
कहता ‘राजू’ भाइयों और बहनों,
मिलकर करें माँ से यह पुकार
बुरी शक्तियाँ सब हो जाए बेकार,
सपनों का भारत हो साकार।
हमारे सपनों का भारत हो साकार॥
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।