राष्ट्रीय संगोष्ठी…
दिल्ली।
हिंदी अकादमी (दिल्ली) और लक्ष्मीबाई कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) के संयुक्त तत्वावधान में ‘हिंदी साहित्य: भाषा, राजनीति, धर्म और दर्शन’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन महाविद्यालय के सभागार में किया गया। इसमें १९ विद्वान वक्ताओं ने विभिन्न सत्रों में इस प्रासंगिक विषय पर विस्तार से चर्चा की।
अकादमी के सचिव संजय कुमार गर्ग की प्रेरणा से आयोजित इस संगोष्ठी में विभिन्न विवि और महाविद्यालयों के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों ने भाग लिया।
उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. प्रत्यूष वत्सला, अकादमी के उपसचिव ऋषि कुमार शर्मा, प्रो. प्रकाश नारायण व प्रो. विमलेश कांति वर्मा सहित कई विद्वान वक्ताओं ने साहित्य और भाषा पर विस्तार से चर्चा की। प्रो. नारायण ने हिन्दी भाषियों को कृत्रिम बुद्धिता के खतरों के प्रति सचेत रहने को कहा। प्रो. निरंजन ने साहित्य में भारत बोध की बात की। प्रसिद्ध समीक्षक और दिल्ली विवि के पूर्व डीन ऑफ कॉलेज प्रो. सुधीश पचौरी ने संरचनावाद और आधुनिकता पर चर्चा की। संचालन ऋषि कुमार शर्मा ने किया।
दूसरे सत्र में साहित्य और दर्शन पर दिल्ली विवि के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष एच.एस. प्रसाद ने बौद्ध दर्शन पर तथा जवाहर लाल नेहरू विवि के रामनाथ झा ने वेदांत दर्शन और साहित्य पर बात की। प्रो. संजय कुमार, साहित्यकार दिलीप पांडेय, कल्लोल चक्रवर्ती और हरियाणा केंद्रीय विवि से प्रो. वीरपाल सिंह भी उपस्थित रहे। प्रो. सिंह ने स्वतंत्रता के इतिहास में जाकर साहित्य और राजनीति के सकारात्मक संबंध को उजागर किया।
डॉ. राहुल राज आर्यन ने सभी का धन्यवाद व्यक्त किया।