श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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ईश्वर और मेरी आस्था स्पर्धा विशेष…..

हे जगत पिता हे ईश्वर,शत-शत नमन आपको,
कंचन थाल कपूर की बाती आरती करती आपको।
हे ईश्वर विनती सुनिए आप पर मेरी आस्था है,
आशीष ना मिलेगा,तो जीने का नहीं रास्ता है।
ईश्वर आप और हमारी आस्था,यह हृदय से जुड़ी है,
पिता-पुत्री जैसी,गुरु-शिष्य जैसी रिश्तों की कड़ी है।
हे ईश्वर जब तक आपकी,दया-दृष्टि मुझ पर है,
हर गम से दूर रहूॅ॑गी क्योंकि हाथ मेरे सिर पर है।
संकट से गुजरना पड़े मुझे,विश्वास नहीं तोडूॅ॑गी मैं,
ईश्वर पर ही मेरी आस्था है,चरण नहीं छोडूॅ॑गी मैं।
ईश्वर पर मेरी आस्था है श्री कृष्ण-सुदामा जैसी।
माॅ॑ शबरी की आस्था थी राम पे,मेरी आस्था भी है वैसी।
हे ईश्वर,पति संग कुल परिवार चरण आपके धोकर,
मुक्ति का मार्ग बनाऊॅ॑गी,अब तो चरणामृत पीकर।
ईश्वर पर मेरी आस्था है,सच कह रही है ‘देवन्ती’,
शीश झुका अरज करती हूॅ॑,सुनिए मेरी विनती॥
परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।