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बरसात

पंकज भूषण पाठक ‘प्रियम’
बसखारो(झारखंड)
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धरा की देख बैचेनी,पवन सौगात ले लाया,
तपी थी धूप में धरती,गगन बरसात ले आया।
घटा घनघोर है छाई,लगे पागल हुआ बादल-
सजाकर बूंद बारिश की,चमन बारात ले आया॥

फ़ुहारों ने जमीं चूमी,हुई पुलकित धरा सारी,
बहारों को ख़िलाकर के,हुई पुष्पित धरा सारी।
खिले हैं बाग वन-उपवन,लगे ज्यूँ गात में उबटन-
नयन मदिरा लगे दरिया,लगे कल्पित धरा सारी॥

उमड़ती देख नदिया ये,पहाड़ों से उतर कर के,
जमीं को नापती सारी,चली कैसे सँवर कर के।
उठा है ज्वार सागर में,उसे खुद में समाने को-
उसे आगोश में लेकर,करेगा प्यार जी भर के।

बदन को चूम कर देखो,पवन ने आग लगवाई,
विरह की वेदना जागी,पिया की याद है आयी।
पिया परदेश में बैठे, प्रिया का दिल कहाँ समझे-
चले आओ सजन तुम भी,अरे बरसात है आयी॥

घटा सावन घनेरी है,…अँधेरी रात कजरारी,
चमक बिजुरी कटारी ने,जिया में घात है मारी।
विरह की आग में जलती,तपन की रात ना ढलती-
कटे कैसे अकेले में,भरी बरसात ये सारी॥

बढ़ा जो खेत में पानी,खिली सूरत किसानों की,
तभी तो झूम के नाची,बुझी हसरत किसानों की।
लिया था कर्ज़ खेतों पे,बड़ा ये बोझ था दिल पे-
हुई बरसात तो देखो,जगी चाहत किसानों की॥

परिचय- पंकज भूषण पाठक का साहित्यिक उपनाम ‘प्रियम’ है। इनकी जन्म तारीख १ मार्च १९७९ तथा जन्म स्थान-रांची है। वर्तमान में देवघर (झारखंड) में और स्थाई पता झारखंड स्थित बसखारो,गिरिडीह है। हिंदी,अंग्रेजी और खोरठा भाषा का ज्ञान रखते हैं। शिक्षा-स्नातकोत्तर(पत्रकारिता एवं जनसंचार)है। इनका कार्यक्षेत्र-पत्रकारिता और संचार सलाहकार (झारखंड सरकार) का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर शिक्षा,स्वच्छता और स्वास्थ्य पर कार्य कर रहे हैं। लगभग सभी विधाओं में(गीत,गज़ल,कविता, कहानी, उपन्यास,नाटक लेख,लघुकथा, संस्मरण इत्यादि) लिखते हैं। प्रकाशन के अंतर्गत-प्रेमांजली(काव्य संग्रह), अंतर्नाद(काव्य संग्रह),लफ़्ज़ समंदर (काव्य व ग़ज़ल संग्रह)और मेरी रचना  (साझा संग्रह) आ चुके हैं। देशभर के सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। आपको साहित्य सेवी सम्मान(२००३)एवं हिन्दी गौरव सम्मान (२०१८)सम्मान मिला है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय श्री पाठक की विशेष उपलब्धि-झारखंड में हिंदी साहित्य के उत्थान हेतु लगातार कार्य करना है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को नई राह प्रदान करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-पिता भागवत पाठक हैं। विशेषज्ञता- सरल भाषा में किसी भी विषय पर तत्काल कविता सर्जन की है।

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