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व्यंग्य को साहित्य की पंगत में बिठाने का काम महत्वपूर्ण-डॉ. जनमेजय

गुरुग्राम (हरियाणा)।

व्यंग्य की स्वीकार्यता जरूरी है। व्यंग्य को साहित्य की पंगत में बिठाने का काम महत्पूर्ण है। यह काम एक समय हरिशंकर परसाईं, शरद जोशी और डाॅ. नरेंद्र कोहली आदि ने किया और सबसे बढ़कर व्यंग्य को लोकप्रिय बनाने में योगदान दिया व्यंग्य के समाचार पत्रों में दैनिक स्तम्भों ने। व्यंग्य वह जो विसंगतियों के प्रति सजग करे।
व्यंग्य के क्षेत्र में महती योगदान देने वाले व ‘व्यंग्य यात्रा’ पत्रिका के संपादक डाॅ. प्रेम जनमेजय ने गुरुग्राम के एससीईआरटी के सभागार में हरियाणा लेखक मंच के तृतीय वार्षिक सम्मेलन में व्यंग्य की सहभागिता पर व्याख्यान देते हुए यह बात कही।
इस अवसर पर डाॅ. जनमेजय के अनुवादित व्यंग्य संकलन ‘लक्ष्मीशरणम् गच्छामि’ का विमोचन किया गया ।
मंच के द्वितीय सत्र में प्रसिद्ध आलोचक व रचनाकार डाॅ. विनोद शाही ने सांस्कृतिक संकट और सृजन का आत्म संघर्ष पर सारगर्भित व विचारोत्तेजक व्याख्यान देते कहा कि आज मनुष्य के साहित्य को ही नहीं, समूचे ज्ञान को सोशल मीडिया ने हथिया लिया है। यह विचार आता है कि ऐसे में मनुष्य के पास बचेगा क्या ? हमारे सामाजिक संदर्भों की दुनिया ही हथिया ली गयी है। अब हमें यह चिंतन करना है कि हमारे सांस्कृतिक संकट का क्या स्वरूप है और इससे निकलने का उपाय क्या है ? हम अपनी ज़मीन से कट गए, अब पाँव‌ रखें तो कहाँ रखें ? हमें प्राचीन परंपराओं को खोजना पड़ेगा। परंपराबोध और भाषा हमें आलोचनात्मक दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।
प्रारम्भ में इस आयोजन की मुख्य आयोजिका डाॅ. शशि कालिया ने कहा कि ऐसे चिंतन शिविर या कार्यशाला युवा लेखकों की दिशा के लिए बहुत जरूरी हैं और इससे इनके लेखन को नयी दिशा मिलेगी। सह आयोजक मुकेश शर्मा ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के बीच किताबों की घटती बिक्री पर गहरी चिंता जताई।
मंच के अध्यक्ष व हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष रहे कमलेश भारतीय ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह सबसे बढ़िया रसायन है कि लेखक समाज से दु:ख पाकर बदले में सुख प्रदान करता है। समाज के लिए कबीर की तरह रात भर जागता है और चिंता करता है।
विशिष्ट अतिथि विनोद प्रकाश गुप्त ने बदलते समाज, संस्कार व सोशल मीडिया पर चिंता व्यक्त की।
मंच की ओर से अध्यक्ष कमलेश भारतीय व उपाध्यक्ष डॉ. भाटिया ने वक्ताओं व आयोजिका को भी सम्मानित किया।
इस वार्षिक समारोह में सदस्यों फूल कुमार राठी, मुकेश शर्मा, सुदर्शन रत्नाकर, अंजू दुआ व दिलबाग अकेला आदि की नव प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन किया गया। सत्रों का संचालन मंच के संस्थापक सदस्यों राधेश्याम भारतीय, ब्रह्म दत्त शर्मा, अजय सिंह राणा व पंकज शर्मा ने किया।
उपाध्यक्ष डॉ. भाटिया ने आभार व्यक्त किया।