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सजे आरती द्वार

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’
कोरबा(छत्तीसगढ़)
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गणतंत्र दिवस विशेष….

सजे आरती द्वार हमारे गीत खुशी के गायें।
ऊँचे हिमालय की चोटी पर हम तिरंगा फहरायें॥

शान हिंद की रहे हमेशा,बहे प्रेम की धारा,
वीर शहीदों ने भारत पर अपना तन मन वारा।
शस्य श्यामला रूप धरा का सबके मन को भाये,
सजे आरती द्वार…॥

भारत की यह पुण्य धरा जो प्राणों से है प्यारी,
जन्मभूमि जो यह है मेरी स्वर्ग लोक से न्यारी।
अविचल खड़ा हिमालय तन कर सबका मन हर्षाये,
सजे आरती द्वार…॥

सुरभित नीर धरा पर चलती, देती सुख अभिराम,
भारत माता तेरी जय हो तेरा जगत में नाम।
मर्यादा का पाठ रघुवर जन-जन को सदा पढ़ायें,
सजे आरती द्वार…॥

कुरुक्षेत्र में कान्हा ने गीता का ज्ञान बतलाया,
सत्य की जीत सदा होती है,यह हमको सिखलाया।
वीरों की क़ुर्बानी हमसें गौरव गान करवाये,
सजे आरती द्वार…॥

परिचय- डॉ. गायत्री शर्मा का साहित्यिक नाम ‘प्रीत’ है। २० मार्च १९६५ को इन्दौर में जन्मीं तथा वर्तमान में स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ स्थित कोरबा जिले के विद्युत नगर में रहती हैं। आपको हिंदी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. (अर्थशास्त्र) तक शिक्षित डॉ. शर्मा का कार्य क्षेत्र-गृहिणी का है,तो सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़ कर समाज के लिए कार्य करती हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं में पदों पर रहते हुए आप भारतीय कला,संस्कृति व समाज के लिए काम कर रही हैं। कई समाचार पत्र-पत्रिका में इनकी अनवरत रचनाओं का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। सम्मान-पुरस्कार में विद्या वाचस्पति सम्मान, सुलोचिनी लेखिका पुरस्कार सहित कोरबा के जिलाधीश से सम्मान प्राप्त हुआ है तो कई संस्थाओं से भी अनेक बार अखिल भारतीय सम्मान मिले हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय स्तर की कई साहित्यिक व सामाजिक संस्थाओं से सम्मान,आकाशवाणी से कविता का प्रसारण औऱ अभा मंचों पर काव्य पाठ का अवसर प्राप्त होना है। डॉ. गायत्री की लेखनी का उद्देश्य-समाज और देश को नई दिशा देना,देश के प्रति भक्ति को प्रदर्शित करना,समाज में फैली बुराइयों को दूर करना, एक स्वस्थ और सुखी समाज व देश का निर्माण करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली डॉ. शर्मा कै लिए प्रेरणापुंज-तुलसीदास जी,सूरदास जी हैं । आपकी विशेषज्ञता-गीत,ग़ज़ल,कविता है।
देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“देश प्रेम व हिंदी भाषा के प्रति हमारे दिल में सम्मान व आदर की भावना होना चाहिए। मेरा देश महान है। हमारी कविताओं में भी देश प्रेम की भावना की झलक होनी चाहिए। हिंदी के प्रति मन में अगाध श्रद्धा हो,अंग्रेजी को त्याग कर हिंदी को अपनाना चाहिए।”

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