बुद्धिप्रकाश महावर मन
मलारना (राजस्थान)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………
एतबार नहीं है आज,मुझे किसी भी शख्स पर,
बैठा हो चाहे वो,किसी भी ताजो-तख्त पर।
मैं नारी हूँ नारी ही,बस रहना चाहूंगी,
शील-शक्ति-सौंदर्य का,गहना ही चाहूंगी।
अबला थी मैं अबला,आज सबला बन गई,
तभी तो हर मानव से,आज मेरी ठन गई।
जो चाहा है वो खेल है,मेरी अस्मत से,
लड़ी भी खूब हूँ,मैं अपनी किस्मत से।
पर हुआ वही है यहाँ,जो चाहा समाज ने,
बागी मुझे बना दिया,मेरे अन्तः एहसास ने।
क्या होना था,क्या हुआ और क्या होना चाहिए,
पता है क्या काटना हमें,वही तो बोना चाहिए ।
विवश नहीं हूँ आज मैं,बिगुल बजा दिया,
फूल तो क्या काँटा भी,शय्या पर बिछा लिया।
फिर देखना है खुशबू आती या लहूलुहान,
नाम मेरा ही होगा या वे भी होते हैं बदनाम।
मैं जानती हूँ कहीं-कहीं दोष मेरा भी है,
पर मासूमों के तन-मन,जख्म गहरा भी है।
इक आह निकलती है,इक चीख निकल रही है,
सागर के गुम्फन में,इक ज्वाला उफ़न रही है।
आओ बहनें आज मिल,बगावत करें हम,
अपनी अस्मत के लिए,शहादत करें हम।
फिर देखना है हमें,कौन हमें मजबूर करे,
अपनी ही खुशियों को,कैसे हमें मजबूर करे॥
परिचय-बुद्धिप्रकाश महावर की जन्म तिथि ३ जुलाई १९७६ है। आपका वर्तमान निवास जिला दौसा(राजस्थान) के ग्राम मलारना में है। लेखन में साहित्यिक उपनाम-मन लिखते हैं।हालांकि, एक राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था ने आपको `तोषमणि` साहित्यिक उप नाम से अलंकृत किया है। एम.ए.(हिंदी) तथा बी.एड. शिक्षित होकर आप अध्यापक (दौसा) हैं। सामाज़िक क्षेत्र में-सामाजिक सुधार कार्यों,बेटी बचाओ जैसे काम में सक्रिय हैं। आप लेखन विधा में कविता,कहानी,संस्मरण,लघुकथा,ग़ज़ल, गीत,नज्म तथा बाल गीत आदि लिखते हैं। ‘हौंसलों के पंखों से'(काव्य संग्रह) तथा ‘कनिका'( कहानी संग्रह) किताब आपके नाम से आ चुकी है। सम्मान में श्री महावर को बाल मुकुंद गुप्त साहित्यिक सम्मान -२०१७,राष्ट्रीय कवि चौपाल साहित्यिक सम्मान-२१०७ तथा दौसा जिला गौरव सम्मान-२०१८ मिला हैl आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक एवं राष्ट्रीय जागृति,पीड़ितों का उद्धार, आत्मखुशी और व्यक्तिगत पहचान स्थापित करना है।