ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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चलती सुबह सवेरे शीतल, प्यारी-प्यारी हवाएँ,
किरण-भोर की उजली-उजली, झाँकने घरों में आएँ।
सूनी-सूनी सी सड़क गली शटर दुकानों के है बंद,
छिप गया जा कर चाँद कहीं, दिखती नहीं तारिकाएँ।
पूसी अपने को चाट रही, मोती भी दुम हिलाए,
गौरैया फुदक रहीं अँगना, देहरी आ चहचहाएँ।
पेपर वाला भैया आया, भागा झट पेपर डाल,
मंदिर की घंटी बजती है पंडित जी पढ़े ऋचाएँ।
दादा-दादी योग कर रहे, पापा जी करते वॉक,
दीदी पढ़ने बैठ रही, मम्मी जी चाय बनाएँ।
बगुलों का एक झुण्ड उडा़, वो नील गगन में दूर,
आ रहे दूध वाले टंकी, गाड़ी में है लटकाएँ॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।