इंदौर (मप्र)।
मातृभाषा हिन्दी को और लोकप्रिय बनाने के अभियान के अंतर्गत हिन्दीभाषा डॉट कॉम परिवार द्वारा हर माह २ स्पर्धा सतत कराई जा रही है। इसी क्रम में ‘नारी से नारायणी’ (महिला दिवस विशेष) विषय पर ९५ वीं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसमें गद्य में प्रथम विजेता बनने का अवसर कुमकुम कुमारी ‘काव्या’ (मुंगेर, बिहार) को और पद्य में पी. यादव ‘ओज’ (झारसुगुड़ा, ओडिशा) को प्राप्त हुआ है।
परिणाम जारी करते हुए मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने सभी सहभागियों को हार्दिक बधाई दी है। श्रीमती जैन ने बताया कि, श्रेष्ठता अनुरूप निर्णायक मंडल ने प्रदर्शित रचनाओं में से गद्य में प्रथम हेतु आलेख ‘वर्तमान में नारी साजो-सामान क्यों ?’ पर कुमकुम कुमारी ‘काव्या’ को चुना है, वहीं द्वितीय क्रम पर ‘सशक्तीकरण’ के सदुपयोग से शुभ की ओर बढ़ें के लिए सपना साहू ‘स्वप्निल’ (इंदौर, मप्र) एवं तीसरे स्थान पर ‘समाज की मजबूती के लिए पहले महिलाओं को सशक्त बनाना होगा’ पर ललित गर्ग (दिल्ली) को चयनित किया गया है।
आपने बताया कि मंच संयोजक प्रो. डॉ. सोनाली सिंह, मार्गदर्शक डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’, परामर्शदाता डॉ. पुनीत द्विवेदी (मप्र), विशिष्ट सहयोगी एच.एस. चाहिल व प्रचार प्रमुख श्रीमती ममता तिवारी ‘ममता’ (छग) ने सभी विजेताओं एवं सहभागियों को हार्दिक बधाई दी है। श्रीमती जैन ने बताया कि, हिंदी साहित्य अकादमी (मप्र) से अभा नारद मुनि पुरस्कार-सम्मान एवं १ राष्ट्रीय कीर्तिमान प्राप्त १.५४ करोड़ ६५ हजार दर्शकों-पाठकों के अपार स्नेह और १० सम्मान पाने वाले इस मंच द्वारा आयोजित इस स्पर्धा में पद्य में पहला स्थान ‘ओज’ की कविता ‘तू दंडकारिणी, स्वयं नारायणी’ को मिला है। इसी तरह ‘नारी से संसार’ रचना के लिए सरोज प्रजापति ‘सरोज’ (मंडी, हिमाचल प्रदेश) को द्वितीय तथा ‘नारी तू अनंत’ कविता पर डॉ. मुकेश ‘असीमित’ (गंगापुर सिटी, राजस्थान) को तृतीय विजेता घोषित किया गया है। निर्णायक मंडल ने भी सभी को बधाई दी है।