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स्वर्ग यही है देश हमारा

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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गणतंत्र दिवस विशेष….

हे माँ भारती बड़ा अद्भुत,तेरा यह श्रृंगार।
शीश हिमालय व सागर चरण,नदियाँ जंगल थार।

स्वर्ग यही है देश हमारा,जग में यह है श्रेष्ठ,
राम कृष्ण भी लेते आये,यहीं मनुज अवतार।

रामायण महाभारत रची,गीता वेद पुराण,
ऋषि मुनियों ने ही बतलाया,जीवन का यह सार।

जात-पात ऊँच-नीच छोडी,है नहीं भेद-भाव,
शांति दूत क्रांति दूत भारत,माने यह संसार।

अजेय गणतंत्र यह अपना,बना यह लोकतंत्र,
मिलजुल कर हम रहते हैं,मधुर रख व्यवहार।

सेनायें बनी शक्तिशाली,शत्रु रहे भयभीत,
आतंकवाद समाप्त हो रहा,छुप बैठे गद्दार।

अब कृषि में बने आत्मनिर्भर,प्रगति करें उद्योग,
बहुआयामी विकास का है,हर दिन नव त्यौहार।

ज्ञान-विज्ञान में रहें आगे,जीत रहे हैं खेल।
वंदे मातरम गूँजता है , दिल से बारम्बार।

अनेकता में भी है एकता-अखण्डता के साथ,
चुनौतियाँ नहीं रही बाधा,स्वप्न हुये साकार।

ऊँचा आज तिरंगा प्यारा,जगाये देश प्रेम,
मेरा भारत महान कह कर,प्रकट करें आभार।

इस धरती पर पले-बढे हैं,यह आन बान शान,
यही साँस में रची-बसी है,यही हमारा प्यार॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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