उदयपुर (राजस्थान)
क्यूँ मैं छंद के बंधन बाँधूं,
क्यूँ पहनूं बंद अलंकार के
कुदरत ने मुझको दे डाले,
हसीन प्यार के ख्वाब सुहाने।
क्यूँ मैं बाँधूं…
बिजली की पैंजनियां दी हैं,
स्वर्ग गंगा का गल-हार
चाँद मुखडे़ पर दी है,
गज़ब चाँदनी की मुस्कान।
क्यूँ मैं बाँधूं…
फूलों सी खुशबू में भीगा,
मेरा सम्पूर्ण गात
मय-सा मतवाला मेरा,
अंग-अंग देता मय को मात।
क्यूँ मैं बाँधूं…
चंचल नयन मेरे करते हैं,
खंजन,करील,मीन से बात
लब पर मेरे हरदम,
रहती आबे हयात।
क्यूँ मैं बाँधूं…
पतरी कमर में बांकपन,
कुदरत की है देन
लयबद्ध पग भी कर रहे,
बिन वीणा झंकार।
क्यूँ मैं बाँधूं…
छप-छप करती नदिया-सी,
लहराती,बलखाती चाल
चिड़ियों की चहक लिए,
मेरे मीठे-मीठे स्वर।
क्यूँ मैं बाँधूं…छंद कॆ बंधन…॥
परिचय – डॉ.नीलम कौर राजस्थान राज्य के उदयपुर में रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। आपका उपनाम ‘नील’ है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। आपका निवास स्थल अजमेर स्थित जौंस गंज है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। अन्य सामाजिक संस्थाओं में भी जुड़ाव व सदस्यता है। आपकी विधा-अतुकांत कविता,अकविता,आशुकाव्य और उन्मुक्त आदि है। आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना और भावनाओं के ज्वार को शब्दों में प्रवाह करना ही लिखने क उद्देश्य है।