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माँ अवनि के दो पुत्र

मोनिका शर्मा
मुंबई(महाराष्ट्र)
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निशा समय नित स्वरूप,
गगन में राज कर रहे निशापति
चाँदनी जगमगा रही चहुँ ओर,
विश्राम कर रही प्रजा सभी।

देख अपनी प्रजा कुशल,
निशानृप थे रहे मुस्कुरा
दी सुनाई एक आवाज उन्हें तभी,
आभास हुआ कोई है आ रहा।

माँ अवनि को कर प्रणाम,
द्वार सूर्य देव ने खटखटाया
नामंजूरी व्यक्त करते हुए बोले चंद्रमा-
“तुम बाद में आना भ्राता।”

दोनों नृप थे अति अभिमानी’
ठहराते स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ
“है आवश्यकता प्रजा को मेरी”,
बोले सूर्य, “क्योंकि मैं हूँ ज्येष्ठ।”

माँ अवनि के दो पुत्र,
लगी दोनों में एक विचित्र होड़
कहा,देखें प्रजा को है कौन अधिक प्रिय,
वही जीतेगा यह दौड़।’

हुआ समाप्त विश्राम का समय,
उठी प्रजा तो अंधकार ही पाया
थम गए थे कार्य सभी,
इस ‘अधिक प्रिय’ की होड़ ने
चहुँ ओर आलस फैलाया।

उर्जा की किरणों के संग,
सूर्य देव पधारे
आलस का अंधेरा मिटाकर,
लोगों के रोजी कार्य सुधारे।

थक चुकी थी प्रजा आखिर,
माँग रहे निशापति का आगमन
समझ गए दोनों अपने कार्य,
धुल गए विषाद सभी और मन हो गया पावन।

कहा चाँद ने भ्राता सूर्य से-
“न मेरे कार्य कम,न तुम्हारे ज्यादा
प्रजा को आवश्यक हैं दोनों,
चलो बाँट लेते हैं काम आधा-आधा॥”
(इक दृष्टि यहाँ भी:निशापति=चंद्र,होड़=शर्त)

परिचय-मोनिका शर्मा की जन्म तिथि १४ मई २००४ तथा जन्म स्थान राजस्थान हैl इनका निवास नवी मुंबई में हैl यह फिलहाल नवी मुंबई स्थित विद्यालय में अध्ययनरत है। उपलब्धि औरंगाबाद में महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए फुटसाल खेल में प्रथम स्थान और हिंदी भाषण प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर आना है। हिंदी-अंग्रेजी में कविता,कहानी और निबंध लिखने की शौकीन सुश्री शर्मा की मुख्य रुचि लेखन ही है।

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