लालचन्द्र यादव
आम्बेडकर नगर(उत्तर प्रदेश)
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हिंदी दिवस स्पर्धा विशेष………………..
माँ की लोरी गा कर देखो,
हिंदी को अपना कर देखो।
बिना दांत के कोमल शिशु-सा,
थोड़ा तो तुतला कर देखो।
भरती जो मानवता मन में,
थोड़ा हिंदी गा कर देखो।
सूरदास की ब्रज भाषा में,
बंसी जरा बजा कर देखो।
तुलसी की अवधी बानी में,
मंगलभवन सुना कर देखो।
सावन में झूले के ऊपर,
थोड़ा कजरी गा कर देखो।
हिंदी की बहती धारा में,
प्रिय के गीत सुना कर देखो।
दादा-नाना की वाणी में,
किस्सा जरा सुना कर देखो।
ट्विंकिल-ट्विंकिल छोड़ जरा-सा,
उठो लाल अब गा कर देखो।
लन्दन,पेरिस,अमरीका में,
हिन्दी को फैलाकर देखो।
जीवन मधुमय हो जाएगा,
हिंदी को अपना कर देखो॥
परिचय–लालचन्द्र यादव का साहित्यिक उपनाम-चन्दन है। जन्म तारीख ५ अगस्त १९८४ और जन्म स्थान-ग्राम-शाहपुर है। फिलहाल उत्तरप्रदेश के फरीदपुर बरेली में रहते हैं, जबकि स्थाई पता जिला आम्बेडकर नगर है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक(बरेली)का है। इनकी लेखन विधा-गीत,गजल,मुक्त कविता आदि है। रचना प्रकाशन विविध पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को दिशा देना है। आपके प्रेरणा पुंज-गुरु शायर अनवर जलालपुरी हैं। एम.ए. (हिंदी) बी.एड. शिक्षित श्री यादव को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। रुचि-कविता लेखन,गीत गाना है।